11 अगस्त यानि आज हम सब रक्षा बंधन (Raksha Bandhan) का त्योंहार मना रहे है, हिन्दू धर्म में मनाया जाने वाला रक्षा बंधन का यह त्यौहार भारतीय त्योहारों में से एक प्राचीन त्योहार है। रक्षा बंधारण (Raksha Bandhan) शब्द का अर्थ है रक्षा का बंधन, एक ऐसा रक्षा सूत्र जो भाई को सभी संकटों से दूर रखता है। यह त्योहार भाई-बहन के बीच स्नेह और पवित्र रिश्ते का प्रतिक है। रक्षा बंधन (Raksha Bandhan) एक सामाजिक, पौराणिक, धार्मिक और ऐतिहासिक भावना के धागे से बना एक ऐसा पावन बंधन है, जिसे रक्षाबंधन के नाम से केवल भारत में ही नहीं बल्कि नेपाल और मॉरेशिस में भी बहुत धूम-धाम से मनाया जाता है।

आजकल इस त्योहार पर बहनें अपने भाई के घर राखी और मिठाइयाँ ले जाती हैं। भाई राखी बाँधने के पश्चात् अपनी बहन को दक्षिणा स्वरूप रुपए देते हैं या कुछ उपहार देते हैं। आज के आर्टिकल में हम बात करेंगे रक्षा बंधन (Raksha Bandhan) के इतिहास के बारे में और कुछ ऐसी उदाहरण स्वरुप कहानियाँ पड़ेंगे जो इस त्यौहार के महत्तव को दर्शाती है.
रक्षाबंधन क्यों मनाते है? Why celebrate Rakshabandhan?

रक्षा बंधन (Raksha Bandhan) का यह त्यौहार असल में इसलिए मनाया जाता है क्यूंकि ये एक भाई का अपनी बहन के प्रति कर्तव्य को जाहिर करता है. वहीँ इसे केवल सगे भाई बहन ही नहीं बल्कि कोई भी स्त्री और पुरुष जो की इस पर्व की मर्यादा को समझते है वो इसका पालन कर सकते हैं. इस मौके पर, एक बहन अपने भाई के कलाई में राखी बांधती है. वहीँ वो भगवान से ये मांगती है की उसका भाई हमेशा खुश रहे और स्वस्थ रहे. वहीँ भाई भी अपने बहन को बदले में कोई तौफा प्रदान करता है और ये प्रतिज्ञा करता है की कोई भी विपत्ति आ जाये वो अपने बहन की रक्षा हमेशा करेगा.
रक्षा-बंधन का इतिहास History of Raksha Bandhan
रक्षा बंधन (Raksha Bandhan) के त्यौहार को लेकर इतिहास में बहुत सी कहानियाँ पढ़ने को मिलती है. hindime.net के आर्टिकल में लिखित कुछ कहानियाँ हम आपके सामने ले कर आये है, इन कहानियों को पढ़ कर हमें इस त्योंहार के महत्वा का पता चलता है, और एक भाई बहन के बिच के अटूट बंधन और प्रेम को यह कहानियाँ बखूबी साबित करने में सक्षम रहती है.
कृष्ण और द्रौपधी की कहानी Story of Krishna and Draupadi

लोगों की रक्षा करने के लिए Lord Krishna को दुष्ट राजा शिशुपाल को मारना पड़ा. इस युद्ध के दौरान कृष्ण जी की अंगूठी में गहरी चोट आई थी. जिसे देखकर द्रौपधी ने अपने वस्त्र का उपयोग कर उनकी खून बहने को रोक दिया था.
भगवान कृष्ण को द्रौपधी की इस कार्य से काफी प्रसन्नता हुई और उन्होंने उनके साथ एक भाई बहन का रिश्ता निभाया. वहीं उन्होंने उनसे ये भी वादा किया की समय आने पर वो उनका जरुर से मदद करेंगे.
बहुत वर्षों बाद जब द्रौपधी को कुरु सभा में जुए के खेल में हारना पड़ा तब कौरवों के राजकुमार दुहसासन ने द्रौपधी का चिर हरण करने लगा. इसपर कृष्ण ने द्रौपधी की रक्षा करी थी और उनकी लाज बचायी थी.
महाभारत के अनुसार रक्षा बंधन Raksha Bandhan according to Mahabharata
भगवान कृष्ण ने युधिस्तिर को ये सलाह दी की महाभारत के लढाई में खुदको और अपने सेना को बचाने के लिए उन्हें राखी का जरुर से उपयोग करना चाहिए युद्ध में जाने से पहले. इसपर माता कुंती ने अपने नाती के हाथों में राखी बांधी थी वहीँ द्रौपधी ने कृष्ण के हाथो पर राखी बांधा था.
सम्राट सिकंदर की पत्नी ने क्यों बंधी थी थी राखी सम्राट पुरु को Why did Emperor Sikandar’s wife tied Rakhi to Emperor Puru?

राखी त्यौहार (Raksha Bandhan) के सबसे पुरानी कहानी सन 300 BC में हुई थी. उस समय जब सिकंदर (Alexander) ने भारत जितने के लिए अपनी पूरी सेना के साथ यहाँ आया था. उस समय भारत में सम्राट पुरु का काफी बोलबाला था. जहाँ सिकंदर (Alexander) ने कभी किसी से भी नहीं हारा था उन्हें सम्राट पुरु के सेना से लढने में काफी दिक्कत हुई. जब सिकंदर (Alexander) की पत्नी को रक्षा बंधन के बारे में पता चला तब उन्होंने सम्राट पुरु के लिए एक राखी भेजी थी जिससे की वो सिकंदर (Alexander) को जान से न मार दें. वहीँ पुरु ने भी अपनी बहन का कहना माना और सिकंदर (Alexander) पर हमला नहीं किया था.
रानी कर्णावती और सम्राट हुमायूँ Queen Karnavati and Emperor Humayun

रानी कर्णावती और सम्राट हुमायूँ की कहानी का कुछ अलग ही महत्व है. ये उस समय की बात है जब राजपूतों को मुस्लमान राजाओं से युद्ध करना पड़ रहा था अपनी राज्य को बचाने के लिए. राखी उस समय भी प्रचलित थी जिसमें भाई अपने बहनों की रक्षा करता है. उस समय चितोर की रानी कर्णावती हुआ करती थी. वो एक विधवा रानी थी.
और ऐसे में गुजरात के सुल्तान बहादुर साह ने उनपर हमला कर दिया. ऐसे में रानी अपने राज्य को बचा सकने में असमर्थ होने लगी. इसपर उन्होंने एक राखी सम्राट हुमायूँ को भेजा उनकी रक्षा करने के लिए. और हुमायूँ ने भी अपनी बहन की रक्षा के हेतु अपनी एक सेना की टुकड़ी चित्तोर भेज दिया. जिससे बाद में बहादुर साह के सेना को पीछे हटना पड़ा था.
संतोधी माँ की कहानी Story of Santodhi Maa

भगवान गणेश के दोनों पुत्र सुभ और लाभ इस बात को लेकर परेशान थे की उनकी कोई बहन नहीं है. इसलिए उन्होंने अपने पिता को एक बहन लाने के लिए जिद की. इसपर नारद जी के हस्तक्ष्येप करने पर बाध्य होकर भगवान् गणेश को संतोषी माता को उत्पन्न करना पड़ा अपने शक्ति का उपयोग कर वहीँ ये मौका रक्षा बंधन ही था जब दोनों भाईओं को उनकी बहन प्राप्त हुई.
भारत के दुसरे धर्मों में रक्षा बंधन कैसे मनाया जाता है? How is Raksha Bandhan celebrated in other religions of India?
हिंदू धर्म – Hindu Religion

यह त्यौहार हिंदू धर्म में काफी हर्ष एवं उल्लाश के साथ मनाया जाता है. वहीँ इसे भरत के उत्तरी प्रान्त और पश्चिमी प्रान्तों में ज्यादा मनाया जाता है. इसके अलावा भी दुसरे देशों में भी इसे मनाया जाता है जैसे की नेपाल, पाकिस्तान, मॉरिशस में भी मनाया जाता है.
जैन धर्म – Jainism

जैन धर्म में उनके जैन पंडित भक्तों को पवित्र धागा प्रदान करते हैं.
सिख धर्म – Sikhism

सिख धर्म में भी इसे भाई और बहन के बीच मनाया जाता है. वहीँ इसे राखाडी या राखरी कहा जाता है.
भारतीय धर्म संस्कृति के अनुसार रक्षा बंधन का त्योहार श्रावण माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है. यह त्योहार भाई-बहन को स्नेह की डोर में बांधता है. इस दिन बहन अपने भाई के मस्तक पर टीका लगाकर रक्षा का बंधन बांधती है, जिसे राखी कहते हैं.
पूरा आर्टिकल पढ़ने के लिए बहुत बहुत सुक्रिया हम आशा करते है कि आज के आर्टिकल रक्षा बंधन (Raksha Bandhan) से जरूर कुछ सीखने को मिला होगा, अगर आपको यह आर्टिकल पसंद आया है तो इसे शेयर करना ना भूले और ऐसे ही अपना प्यार और सपोर्ट बनाये रखे THEHALFWORLD वेबसाइट के साथ चलिए मिलते है नेक्स्ट आर्टिकल में तब तक के लिए अलविदा, धन्यवाद !