हनुमान चालीसा विवाद के बाद गिरफ्तार हुए राणा दंपती की याचिका को बॉम्बे हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है. अमरावती से सांसद नवनीत राणा और उनके विधायक पति रवि राणा (Ravi rana) पर पुलिस पर हमला करने का आरोप है. ये कथित हमला उस समय किया गया था जब पुलिस दोनों को गिरफ्तार करने पहुंची थी. बाद में दंपती के खिलाफ IPC की धारा 353 के तहत एफआईआर (FIR) दर्ज कर ली गई. इसी को खारिज कराने के लिए नवनीत राणा (Navneet rana) और रवि राणा (Ravi rana) ने कोर्ट में याचिका डाली थी. लेकिन कोर्ट ने ना सिर्फ याचिका खारिज कर दी, बल्कि राणा दंपती को फटकार भी लगा दी.
नवनीत राणा (Navneet rana) और उनके पति विधायक रवि राणा (Ravi rana)
कोर्ट ने याचिका खारिज करने के साथ दंपती को फटकार लगाई –
इंडिया टुडे की खबर के मुताबिक फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने कहा, “बड़ी ताकत के साथ बड़ी जिम्मेदारी आती है. सार्वजनिक जीवन में सक्रिय लोगों से उम्मीद की जाती है कि वे जिम्मेदारी से कार्य करेंगे. यह कोई अतिरिक्त नहीं बल्कि बुनियादी अपेक्षा है.”
“इस तरह की घोषणा कि कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति के घर या किसी सार्वजनिक स्थान पर धार्मिक पाठ करेगा, निश्चित रूप से दूसरे व्यक्ति की व्यक्तिगत स्वतंत्रता का उल्लंघन है. राज्य सरकार की यह आशंका जायज है कि इससे कानून-व्यवस्था की समस्या खड़ी हो सकती है.”
मुंबई पुलिस ने सांसद नवनीत राणा (Navneet rana) और उनके पति विधायक रवि राणा (Ravi rana) को धार्मिक विद्वेष को बढ़ावा देने के मामले में गिरफ्तार किया था. फिर उन पर धारा 353 के तहत दूसरी FIR दर्ज की गई थी. बाद में उन पर राजद्रोह की धारा भी लगाई गई थी.
नवनीत राणा (Navneet rana) और उनके पति विधायक रवि राणा (Ravi rana)
क्या है हनुमान चालीसा विवाद?
इंडिया टुडे से जुड़ीं विद्या की रिपोर्ट के मुताबिक, हाल में नवनीत राणा ने सीएम उद्धव ठाकरे से मांग की थी कि हनुमान जयंती पर वो अपने घर पर हनुमान चालीसा का पाठ करें. उन्होंने कहा था कि अगर ठाकरे ऐसा नहीं करते हैं, तो नवनीत राणा सीएम के घर मातोश्री के बाहर खुद हनुमान चालीसा का पाठ करेंगी.
नवनीत राणा ने 23 अप्रैल की सुबह 9 बजे मातोश्री के सामने हनुमान चालीसा पाठ करने का ऐलान किया था. लेकिन सुबह से ही नवनीत राणा और उद्धव ठाकरे के घर के बाहर शिवसेना कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन शुरू कर दिया. इस हंगामे के बीच राणा दंपती ने अपना ऐलान वापस ले लिया.
इसके बाद पुलिस ने उसी शाम राणा दंपती को गिरफ्तार कर लिया था. नवनीत राणा और रवि राणा दोनों को 24 अप्रैल को बांद्रा के मेट्रोपॉलिटन मैजिस्ट्रेट की कोर्ट में पेश किया गया. दोनों की पुलिस हिरासत मांगी गई. जिसे कोर्ट ने खारिज करते हुए, दोनों को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया था.
लोकसभा स्पीकर (ओम बिरला) को लिखी चिट्ठी –
इस बीच नवनीत राणा ने लोकसभा स्पीकर ओम बिरला को चिट्ठी लिखी है. इसमें अमरावती की लोकसभा सांसद ने महाराष्ट्र सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं. नवनीत राणा ने चिट्ठी में लिखा है,
“मुझे 23 अप्रैल को पुलिस स्टेशन ले जाया गया. 23 अप्रैल को पूरी रात स्टेशन में ही गुजारनी पड़ी. रात मैंने पीने के लिए कई बार पानी मांगा लेकिन मुझे पानी नहीं दिया गया.”
नवनीत राणा ने थाने में मौजूद पुलिस कर्मियों पर जातिगत भेदभाव का आरोप लगाया. उनका दावा है,
“पुलिस स्टाफ ने कहा कि मैं अनुसूचित जाति की हूं इसलिए वे मुझे उसी गिलास में पानी नहीं दे सकते जिसमें वे पानी पीते हैं. उन्होंने मुझसे कहा, ‘नीची जाति के लोगों को पानी नहीं देते.’ मैं यह जोर देकर कहना चाहती हूं कि मुझे मेरी जाति की वजह से बुनियादी मानवाधिकारों से वंचित रखा गया.”
नवनीत राणा ने खुद को शिवसेना संस्थापक बाला साहब ठाकरे का अनुयायी बताते हुए कहा कि उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में शिवसेना हिंदुत्व के अपने सिद्धांत से पूरी तरह भटक गई है. उन्होंने आगे लिखा,
“मैंने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को हनुमान चालीसा के पाठ में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया था. मेरा कदम सीएम के खिलाफ नहीं था. लेकिन मुझ पर आरोप लगाया गया कि मेरे इस कदम से मुंबई में कानून-व्यवस्था को खतरा हो सकता है.”
नवनीत राणा के लेटर का संज्ञान लेते हुए लोकसभा सचिवालय ने 24 घंटे के भीतर महाराष्ट्र सरकार से रिपोर्ट देने के लिए कहा है.