breast cancer: महिलाओं में होने वाला सबसे कॉमन और खतरनाक कैंसर है. भारत सरकार के डेटा के मुताबिक, 2020 में ब्रेस्ट कैंसर से पीड़ित औसत 10 में से चार लोगों की मौत हुई. स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने इससे जुड़ा डेटा भी मानसून सत्र के दौरान लोकसभा में पेश किया था. आज के आर्टिकल में हम बात करेंगे की दुनिया भर में ब्रैस्ट कैंसर (breast cancer) के क्या आंकड़े है .
ब्रेस्ट कैंसर (breast cancer) भारतीय महिलाओं में सबसे ज्यादा होने वाला कैंसर है, इसके बाद सर्विकल कैंसर का नंबर आता है. नेशनल सेंटर फॉर डिजीज इंफॉर्मेटिक्स एंड रिसर्च (National Center for Disease Informatics and Research) की नैशनल कैंसर रजिस्ट्री प्रोग्राम रिपोर्ट के मुताबिक, 2020 में भारत में महिलाओं में सामने आए कैंसर के कुल मामलों में 39.4 प्रतिशत मामले ब्रेस्ट (breast cancer) और सर्विकल कैंसर के थे.रिपोर्ट में बताया गया है कि ब्रेस्ट कैंसर के मुख्य कारण बढ़ती उम्र, मोटापा, शराब और अनुवांशिक कारण हैं.
इंडिया टुडे की डेटा इंटेलिजेंस यूनिट (DIU) से जुड़े पीयूष अग्रवाल की रिपोर्ट के मुताबिक, 2020 में भारत में ब्रेस्ट कैंसर के दो लाख से अधिक मामलों का अनुमान लगाया गया था. अनुमान ये भी लगाया गया कि ब्रेस्ट कैंसर (breast cancer) से 76 हज़ार से ज्यादा महिलाओं की मौत 2020 में हुई. 2020 के राष्ट्रीय कैंसर रजिस्ट्री प्रोग्राम की रिपोर्ट के अनुसार, 2025 में ब्रेस्ट कैंसर के मामले बढ़कर 2.3 लाख हो सकते हैं.
कैंसर से ग्रस्त हर चार में से एक महिला को ब्रेस्ट कैंसर One out of every four women with cancer has breast cancer
TheLallantop की रिपोर्ट के अनुसार इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर के आंकड़ों के अनुसार, पूरी दुनिया की बात करें तो 2020 में कैंसर से ग्रस्त हर चार में से एक महिला को ब्रेस्ट कैंसर (breast cancer) था. 2020 मेंब्रेस्ट कैंसर से भारत में 37.2 प्रतिशत महिलाओं की मौत हुई. जबकि, एशिया में मृत्युदर 34 प्रतिशत थी और वैश्विक स्तर पर 2020 में मृत्युदर 30 प्रतिशत थी.
डॉक्टर भाग्यलक्ष्मी एस, हैदराबाद के यशोदा अस्पताल में कंसल्टेंट गायनेकोलॉजिस्ट और लैप्रोस्कोपिक सर्जन हैं. उन्होंने इंडिया टुडे से कहा,
“भारत में ब्रेस्ट कैंसर (breast cancer) से ज्यादा मौतों की बड़ी वजह लोगों में इसे लेकर जागरूकता न होना है. इसकी वजह से ठीक से स्क्रीनिंग नहीं हो पाती और बीमारी का पता देर से चलता है. एडवांस्ड स्टेज में ब्रेस्ट कैंसर के पता चलने और देश के ज्यादातर जगहों पर सही मेडिकल फेसिलिटी का न होना भी ज्यादा मौत होने की बड़ी वजह है.”
वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाइजेशन (WHO) के अनुमानों के अनुसार, 2020 में पूरी दुनिया में 20 लाख से भी ज्यादा महिलाओं को ब्रेस्ट कैंसर (breast cancer) का पता चला था. वहीं, करीब सात लाख लोगों की इससे मौत हो गई थी.
WHO के अनुसार कई ऐसे ऐहतियात हैं जो ब्रेस्ट कैंसर (breast cancer) होने से बचा सकते हैं. जैसे कि लंबे समय तक ब्रेस्टफीडिंग कराना, एक्सरसाइज़ करना, वजन मेंटेन करना, शराब से बचना और तबांकू के सेवन और धुंए से बचना.
हैदराबाद के यशोदा अस्पताल के सर्जिकल ओंकोलॉजिस्ट (कैंसर विशेषज्ञ) डॉक्टर के श्रीकांत ने भी इंडिया टुडे से बात की. उन्होंने कहा कि ज्यादातर महिलाएं शुरुआती लक्षणों को नज़रअंदाज़ कर देती हैं. उन्होंने कहा,
“महिलाओं में इस जागरूकता की सख्त ज़रूरत है कि ब्रेस्ट में अगर कोई नया बिना दर्द वाला लंप महसूस हो तो उसकी जांच कराएं. ज्यादातर मामलों में यही बिना दर्द वाले लंप कैंसर का रूप ले लेते हैं और मृत्युदर के 37 प्रतिशत होने का कारण बनते हैं. ”
डॉक्टर श्रीकांत ने कहा कि मेट्रो सिटीज़ में खराब लाइफस्टाइल की वजह से महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर के मामले बढ़ रहे हैं.
भारत के ब्रेस्ट कैंसर हॉटस्पॉट Breast Cancer Hotspots of India
22 जुलाई, 2022 को लोकसभा में बताए गए राज्य-वार डाटा से पता चलता है कि 2020 में केरल, पंजाब, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और तेलंगाना में ब्रेस्ट कैंसर का AAR सबसे ज्यादा है. AAR माने age-adjusted rate. इसका मतलब है, प्रति एक लाख महिला आबादी में ब्रेस्ट कैंसर (breast cancer) से पीड़ित महिलाओं की संख्या. इन सभी राज्यों में 2020 में ब्रेस्ट कैंसर की घटनाओं के लिए 40 से अधिक AAR था. केरल में सबसे ज्यादा AAR 45.7 था. उस समय पूरे भारत का AAR 31.3 था. इसी तरह मौतों की बात करें तो भारत का AAR 11.7 था. AAR 17 के साथ केरल मौतों के मामले में सबसे ऊपर रहा.
रिपोर्ट में देश के 28 पॉपुलेशन बेस्ड रजिस्ट्रीज़ का डेटा शामिल किया गया था. इनमें से 19 में ब्रेस्ट कैंसर के मामले सबसे ज्यादा थे. रिपोर्ट में ये भी सामने आया कि नागपुर के अलावा बाकी पॉपुलेशन बेस्ड रजिस्ट्रीज़ में भी कैंसर के मामलों में बढ़ोतरी हुई है. पॉपुलेशन बेस्ड रजिस्ट्रीज़ में देश के अलग-अलग क्षेत्रों में स्पेसिफिक बीमारियों का डेटा कलेक्ट किया जाता है. इन रजिस्ट्रीज़ में अस्पतालों और दूसरे सोर्सेज़ से मिला डेटा शामिल किया जाता है. इस डेटा के आधार पर किसी बीमारी से निपटने के तरीकों पर विचार किया जाता है.
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