मुंबई के नायर हॉस्पिटल से मेडिकल पढ़ने वाली छात्रा की आदिवासी (scheduled tribes) जाति का होने के कारण जान चली गई। छात्रा को बार-बार पिछड़ी जाति का होने के कारण प्रताड़ित किया जाता था तथा जातिसूचक शब्द बोले जाते थे। इन सबसे परेशान होकर छात्रा ने आत्म हत्या कर ली ।
पीड़िता के परिजनों का आरोप है कि रैगिंग से तंग आकर उसने आत्महत्या की है। जिसके बाद तीन सीनियर महिला डॉक्टरों के खिलाफ केस दर्ज किया गया है। मरने वाली नायर हॉस्पिटल में रेजिडेंट डॉक्टर थी तथा उसकी 3 सीनियर डॉक्टर उसकी जाति को लेकर टिका टिप्पणी करती थी।
मुंबई पुलिस के मुताबिक, महिला डॉक्टर का नाम पायल तडवी है जिसकी उम्र 23 वर्ष है। वह महाराष्ट्र के जलगांव की रहने वाली है। घटना के बाद उनके परिवारवालों ने आग्रीपाडा पुलिस थाने में उनके साथ काम करने वाली तीन महिला डॉक्टरों के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाई गई थी। जिसके बाद पुलिस ने इस मामले में डॉ. हेमा आहुजा, डॉ भक्ती अहिरे और डॉ. अंकिता खंडेलवाल का केस दर्ज किया है। तीनों नायर अस्पताल में सीनियर महिला गायनेकोलॉजिस्ट हैं।
आदिवासी होने के कारण प्रताड़ित किया जाता था
पोस्टमार्टम के बाद पुलिस ने मृत युवती का शव उनके परिवार को सौंप दिया है। परिवार के लोगों का आरोप है कि मेडिकल छात्रा ने जातिवादी रैगिंग से तंग आकर गले में फंदा डालकर सुसाइड कर लिया है।
पायल की मां आबेदा तडवी का आरोप है कि “उनकी बेटी बताया था कि आदिवासी (scheduled tribes) होने के कारण वरिष्ठ महिला डॉक्टर उसे प्रताड़ित करती हैं। उसे जातिवादी गालियां दी जाती हैं।”
पायल की मां मीडिया से बात करते हुए अबेदा ने बताया कि उनकी बेटी जब भी फोन पर बात करती थी, तो कहती थी कि ये (तीनों वरिष्ठ डॉक्टर) लोग मुझे प्रताड़ित करते हैं क्योंकि मैं एक आदिवासी हूं। वहीं आदिवासी (scheduled tribes) समुदाय का होने के कारण जातिगत और दास जैसी गालियां दी जातीं। पायल की मां ने कहा कि वो अपनी बेटी के लिए न्याय चाहती हैं।
हिन्दुओं में जातिवाद बना हुआ है कलंक
इस तरह के कई मामले सामने आते है जिसमे जातिवाद एक कलंक की तरह बना हुआ है और दिनों दिन जाति आधारित अत्याचार बढ़ते जा रहे है परन्तु जब तक ये घटनाएं पूरी तरह से अंजाम तक नहीं पहुँचती तब तक प्रशासन भी कोई कर्यवाही नहीं करता।
गौरतलब है कि जाति आधारित अत्याचार महिलाओं पर सबसे ज्यादा बाद रहा है।