महिलायें अपने आप को साबित करने और पुरुषों के मुकाबले खुद को उनके बराबर साबित करने में हमेशा सक्षम रही है, कई देश ऐसे है जिनमे महिलाओं को ज्यादा बढ़ावा नहीं देते और न ही उनके हक़ कि कभी बात करते है लेकिन आजकल कि ख़बरों से पता लग रहा है कि महिलायें अपनी कामयाबी की राह खुद बना सकती है.
महिलायें अब अपने आप को बुलंदियों पर पहुंचा रही है, जी हाँ आज की कहानी है अपने पडोसी देश पाकिस्तान से जहाँ देश की पहली हिन्दू महिला को DSP के रूप में निर्वाचित किया गया है. आपको बता दे कि पाकिस्तान में इस से पहले DSP पद पर कोई हिन्दू महिला नहीं रही है, लेकिन यह कारनामा कर दिखाया है पाकिस्तान की मनीषा रूपेता ने. चलिए आज आपको बताते है DSP मनीषा रुपेता (Manisha Rupeta) के बारे में आखिर किन कठिनाइयों से गुजर कर उन्होंने अपनी मंज़िल को हांसिल किया है.
कौन हैं मनीषा रूपेता? Who is Manisha Rupeta?

मनीषा (Manisha Rupeta) सिंध जिले के जाकूबाबाद की रहने वाली हैं. पांच भाई-बहनों में एक हैं. उनके पिता जाकूबाबाद में बिजनेसमैन थे. जब मनीषा 13 साल की थी. तब उनके पिता का निधन हो गया था. उनके पिता के गुज़र जाने के बाद उनकी मां ने सभी बच्चों की परवरिश की. और उन्हें लेकर कराची आ गईं. लल्लन टॉप की रिपोर्ट के अनुसार मनीषा ने कहा,
“बचपन से मैंने और मेरी बहनों ने पुरानी रीति-रिवाज ही देखे थे. जहां लड़कियां अगर पढ़ाई करना चाहती हैं या कोई जॉब करना चाहती हैं तो उन्हें सिर्फ टीचर और डॉक्टर बनने की सलाह दी जाती थी.”
पुलिस फोर्स क्यों ज्वाइन किया? Why did you join the police force?
मनीषा (Manisha Rupeta) की तीन बहनें MBBS डॉक्टर हैं. और उनका छोटा भाई मेडिकल मैनेजमेंट की पढ़ाई कर रहा है. अपनी बहनों की तरह मनीषा ने भी MBBS की परीक्षा दी. लेकिन वो पास नहीं हुई. इस बात पर मनीषा ने कहा,
“मेडिकल में पास नहीं होने के बाद मैंने अपने परिवार को बताया था कि मैं फिजिकल थेरेपी में डिग्री लूंगी. लेकिन मुझे पुलिस की वर्दी भी बहुत पसंद थी. इसलिए मैंने घरवालों को बिना बताए सिंध पब्लिक सर्विस कमीशन की परीक्षा दी. और मैं लोगों की इस सोच को भी बदलना चाहती थी कि अच्छे परिवार की लड़कियां पुलिस स्टेशन और अदालत नहीं जाती हैं. मैं खुद नारीशक्ति को आगे बढ़ता देखना चाहती हूं. और पुलिस फोर्स में जेंडर इक्वालिटी देखना चाहती हूं.”
सबसे मुश्किल इलाकों में हुई ट्रेनिंग Training in the toughest areas
मिली जानकारी के मुताबिक, मनीषा (Manisha Rupeta) ने कराची के सबसे मुश्किल इलाके ल्यारी में ट्रेनिंग ली थी. मनीषा इस इलाके में पुलिस विभाग में ऑफ़िसर बनने वाली पहली महिला हैं. जब मनीषा ने पुलिस फ़ोर्स जॉइन की तब उनके रिश्तेदारों ने कहा था कि वो ज्यादा दिन तक नहीं टिक पाएंगी.
इस बात पर मनीषा ने कहा कि वो अब तक ऐसे लोगों को गलत साबित करती रही हैं और आगे भी करती रहेंगी. उन्होंने बताया कि वो कई और लड़कियों को गाइडेंस दे रही हैं और वो मानती हैं कि पुलिस ऐसी सेवा है जो लिंग और धर्म से परे है.
मनीषा ने की थी डॉक्टर बनने की कोशिश Manisha tried to become a doctor
सिंध जिले के पिछड़े और छोटे से जिले जाकूबाबाद की मनीषा (Manisha Rupeta) ने यहीं से अपनी प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा हासिल की। मनीषा (Manisha Rupeta) ने डॉक्टर बनने की कोशिश की थी, लेकिन महज एक नंबर कम होने की वजह से उन्हें MBBS में दाख़िला नहीं मिला था।
इसके बाद उन्होंने डॉक्टर ऑफ फिजिकल थेरेपी की डिग्री ली। इस दौरान बिना किसी को बताए वह सिंध लोक सेवा आयोग की परीक्षा की तैयारी भी करती रहीं। उन्होंने ना केवल इस परीक्षा में कामयाबी हासिल की बल्कि 438 सफल आवेदकों में 16वें स्थान पर रहीं।
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उन्होंने बताया, “हमें यह स्पष्ट तौर पर पता है कि कौन सा पेशा महिलाओं के लिए है और कौन सा था। लेकिन मुझे हमेशा पुलिस का पेशा आकर्षित करता रहा और प्रेरित भी करता रहा है, मुझे लगता है कि यह पेशा महिलाओं की स्थिति को सशक्त बनाता है।” उन्होंने मुझे यह भी बताया कि उनका मुख्य उद्देश्य पुलिस के पेशे को महिलाओं से जोड़ने की कोशिश करना था।
पाकिस्तानियों ने की प्रशंसा Pakistanis praised
इसके बारे में मनीषा (Manisha Rupeta) ने बताया, “मेरी कामयाबी पर लोग काफ़ी खुश हुए। पूरे देश ने मेरी प्रशंसा की। हर किसी से प्रशंसा सुनने को मिली लेकिन एक अजीब बात यह हुई कि मेरे नज़दीकी रिश्तेदारों का मानना है कि थोड़े ही समय में ये नौकरी बदल लूंगी।
उन्होंने बताया, “पितृसत्तात्मक समाज में, पुरुषों को लगता है कि ये काम केवल पुरुष ही कर सकते हैं। यह एक सोचने का नज़रिया हो सकता है। लेकिन आने वाले कुछ सालों में ये लोग अपनी बात वापस लेंगे और हो सकता है कि उनमें से किसी की बेटी पुलिस विभाग में काम करने लगे।
मनीषा के परिवार बारे में खास बातें Special things about Manisha’s family
- मनीषा (Manisha Rupeta) के पिता जाकूबाबाद में व्यापारी थे और मनीषा जब 13 साल की थीं तब उनका निधन हो गया था।
- मनीषा (Manisha Rupeta) की मां ने अपने दम पर पांच बच्चों की परवरिश की। बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए वो कराची आ गईं ।
- अपने संघर्ष के दिनों को याद करते हुए मनीषा ने बताया कि जाकूबाबाद में लड़कियों को पढ़ाने लिखाने का माहौल नहीं था।
- अगर किसी लड़की की शिक्षा में दिलचस्पी होती थी तो उसे केवल मेडिकल की पढ़ाई पढ़ने के लिए उपयुक्त माना जाता था।
- मनीषा की तीन बहनें एमबीबीएस डॉक्टर हैं, जबकि उनका इकलौता और छोटा भाई मेडिकल मैनेजमेंट की पढ़ाई कर रहा है।
पूरा आर्टिकल पढ़ने के लिए बहुत बहुत सुक्रिया हम आशा करते है कि आज के आर्टिकल पाकिस्तान की पहली हिन्दू महिला DSP (Manisha Rupeta) के बारे में आपको पूर्ण जानकारी प्राप्त हुई होगी और इस आर्टिकल से आपको जरूर कुछ सीखने को मिला होगा, अगर आपको यह आर्टिकल पसंद आया है तो इसे शेयर करना ना भूले और ऐसे ही अपना प्यार और सपोर्ट बनाये रखे THEHALFWORLD वेबसाइट के साथ चलिए मिलते है नेक्स्ट आर्टिकल में तब तक के लिए अलविदा, धन्यवाद !
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