शादी एक ऐसा बंधन है जिसमें एक लड़का और एक लड़की ही नहीं बल्कि 2 परिवार भी आपस में जुड़ते है,और एक दूसरे का सम्मान करते हुए शादी की सारी रस्में निभाते है, लेकिन क्या कभी ऐसा होते देखा है कि कोई लड़का या लड़की खुद से ही शादी करे यानि कि ऐसा कह सकते है कि वो व्यक्ति अपने आप को ही अपना जीवन साथी मान लेता है जी हाँ, ऐसा ही मामला गुजरात के वडोदरा में देखने को मिला, चलिए जानते है दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के अनुसार कैसे क्षमा बिंदु (Kshama Bindu) ने बुधवार को खुद से शादी (Sologamy) कर ही ली।

मामला है गुजरात के वडोदरा का जहाँ 24 साल की क्षमा बिंदु (Kshama Bindu) ने बुधवार को खुद से शादी कर ली। वैसे आपको बता दे कि क्षमा पहले 11 जून को शादी की रस्में करने वाली थीं, लेकिन उनकी शादी को लेकर चल रहे विवादों के कारण उन्होंने तीन दिन पहले ही शादी कर ली। इस दौरान हल्दी, मेहंदी की रस्में भी हुईं, क्षमा बिंदु (Kshama Bindu) ने अकेले फेरे भी लिए और आईने के सामने खड़े होकर खुद की मांग भी भरी। खुद ही मंगलसूत्र पहना। शादी करवाने के लिए कोई पंडित तैयार नहीं हुआ तो मोबाइल पर मंत्रोच्चार हुआ।
सम्पूर्ण हिंदू रीति-रिवाजों के साथ शादी की क्षमा ने

वडोदरा के गोत्री इलाके की क्षमा बिंदु (Kshama Bindu) दुल्हन के लाल जोड़े में नज़र आयी, उनकी शादी में परिवार के साथ कुछ खास दोस्त शामिल हुए. क्षमा बिंदु (Kshama Bindu) के माता-पिता भी अपनी बेटी के फैसले से खुश है। उन्होंने इस शादी को आशीर्वाद भी दिया है। क्षमा ने अपनी शादी के लिए गोत्री के एक मंदिर में पांच मन्नतें लिखी हैं। शादी के बाद क्षमा ने हनीमून के लिए गोवा को चुना है, यहां पर वह दो हफ्ते रहेंगी।
क्या है सोलोगैमी (Sologamy)?

सोलोगैमी (Sologamy) या ऑटोगैमी किसी महिला या पुरुष द्वारा खुद से ही शादी करने को कहा जाता है। सोलोगैमी का समर्थन करने वाले लोगों का तर्क है कि खुद से शादी करना खुद की अहमियत करने को दर्शाता है। इसे एकल विवाह या आत्मविवाह (Sologamy) भी कहते हैं।
शादी नहीं करनी, लेकिन दुल्हन बनना था

क्षमा से उनकी शादी को लेकर जब सवाल किये गए तो उनका इस आत्मविवाह (Sologamy) को लेकर कहना है, कि ‘मैं कभी शादी नहीं करना चाहती थी, लेकिन दुल्हन बनना चाहती थी। इसलिए मैंने खुद से ही शादी करने का फैसला किया। शायद अपने देश में मैं सेल्फ-लव का एक उदाहरण सेट करने वाली पहली लड़की हूं।’
शादी उससे जिससे वो प्यार करे

आगे क्षमा ने कहा कि ‘लोग इस तरह की शादी को इर्रेलेवेंट मान सकते हैं, लेकिन मैं यह बताना चाहती हूं कि महिलाएं भी मायने रखती हैं। लोग उस इंसान से शादी करते हैं, जिससे वो प्यार करते हैं। मैं खुद से प्यार करती हूं। इसलिए खुद से यानि आत्मविवाह (Sologamy) किया।’
पुणे की कंपनी में काम करती है क्षमा

बात करे क्षमा बिंदु की जॉब या प्रोफेशन की तो आपकी जानकारी के लिए बता दे कि बिंदु पुणे की एक कंपनी के वडोदरा स्थित आउटसोर्सिंग ऑफिस में काम करती हैं। उन्होंने समाजशास्त्र विषय के साथ इसी साल एमएस यूनिवर्सिटी-वडोदरा से BA भी किया है। इसके साथ ही क्षमा बिंदु एक ब्लॉगर भी हैं। क्षमा के माता-पिता दोनों इंजीनियर हैं। क्षमा के पिता दक्षिण अफ्रीका में हैं और उनकी मां अहमदाबाद में रहती हैं।
नाम के साथ सरनेम की बजाय ‘बिंदु’ शब्द क्यों ?

क्षमा ने अपने नाम के आगे ‘बिंदु’ शब्द जोड़ा है, इस बारे में क्षमा का कहना है कि ‘वह मूलत: केन्द्र शासित प्रदेश दमण की रहने वाली हैं, लेकिन वडोदरा के सुभानपुरा क्षेत्र में रहती हैं। नाम के साथ सरनेम की बजाय ‘बिंदु’ शब्द प्रयोग करती हैं। क्षमा ने कहा कि- एक वेबसीरीज के इस डायलॉग का मुझ पर गहरा असर हुआ।
हिन्दू धर्म के खिलाफ है ऐसी शादी, बिंदु मानसिक रूप से बीमार

हिंदू धर्म के खिलाफ है ऐसी शादियां भाजपा नेता सुनीता शुक्ला ने न्यूज़ एजेंसी एएनआई से बात करते हुए कहा था, ‘मैं मंदिर में शादी के खिलाफ हूं, उसे किसी भी मंदिर में खुद से शादी करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। ऐसी शादियां हिंदू धर्म के खिलाफ हैं। इससे हिंदुओं की आबादी कम होगी। अगर कुछ भी धर्म के खिलाफ जाता है, तो कोई कानून नहीं चलेगा।’ कहा कि बिंदु मानसिक रूप से बीमार है। हिंदू संस्कृति में कहीं भी यह नहीं लिखा है कि लड़का किसी लड़के से शादी कर सकता है या लड़की लड़की से शादी कर सकती है। हालाँकि विवादों के चलते क्षमा की शादी है चुकी है.
क्या पहले भी किसी ने किया है ”आत्मविवाह” (Sologamy)

News india की रिपोर्ट के अनुसार यह भारत का पहला मामला है जिसमें मंडप होगा, शादी की कसमें वादें होंगे, मेहमान होंगे, दुल्हन होगी, जयमाला होगी, सिंदूर होगा, दहेज होगा, शादी के बाद हनीमून होगा लेकिन दूल्हा नहीं होगा। इससे पहले जापान में ज्यादातर लड़कियों ने सोलो वेडिंग को अपनाया है। आज के समय में सिर्फ जापान ही नहीं बल्कि इटली, ऑस्ट्रेलिया, ताइवान, अमेरिका और यूके में भी बहुत तेजी से इस ट्रेंड को अपनाया जा रहा है।
कब से शुरू हुई है सोलोगैमी (Sologamy) की शुरुआत?
सोलोगैमी (Sologamy) की शुरुआत 90 के दशक में हुई थी. लिंडा बेकर नाम की एक महिला ने साल 1993 में खुद से शादी की थी. लिंडा बेकर की शादी को ही पहले सेल्फ मैरिज का दर्जा मिला है. जब लिंडा बेकर ने शादी की थी तब करीब 75 लोगों इस शादी समारोह में शामिल हुए थे. 1993 के बाद ऐसे कई मौके आए जब लोगों ने ऐसी शादियां की हैं.
खुद से भी तलाक ले लेते हैं लोग
अब सेल्फ मैरिज है तो सेल्फ डिवोर्स का भी चलन आना तय है. जहां शादी है, वहां तलाक की भी आशंका बनी रहती है. ब्राजीलियन मॉडल क्रिस गैलेरा ने अपने आप से तलाक ले लिया था. उन्होंने अपने सोलो मैरिज को खत्म कर दिया क्योंकि ठीक 90 दिन बाद उन्हें किसी से प्यार हो गया था.