साल 2021 में महिलाओं के लिए बहुत से नए कानून लाये गये व उनके हक़ की बात करते हुए उनको बहुत सी ऐतिहासिक उपलब्धियां दर्ज हुईं। गणतंत्र दिवस परेड में देश की पहली महिला फाइटर शामिल की गई, इंडोनेशियाई सेना में वर्जिनिटी टेस्ट बैन, पुरुषों से ज्यादा महिलाओं की आबादी, रूस में महिलाओं की ड्राइविंग पर लगा प्रतिबंध हटाने तक के मामलों को लेकर यह साल महिलाओं के नाम रहा। साल के अंतिम समय के साथ ही साथ दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के अनुसार आज हम इसी विषय पर बात करते है –
राजपथ परेड में शामिल हुई पहली महिला फायर फाइटर –
इस साल देश में कई महिलाओं के खाते में नई उपलब्धियां शामिल हुई। वहीं साल की गणतंत्र दिवस परेड में शामिल होकर महिला फाइटर पायलट भावना कांत ने इतिहास रच दिया। इस पर केंद्रीय मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने भी ट्विटर पर उन्हें बधाई दी और इसे पूरे देश के लिए गौरवशाली क्षण बताया।
पुरुषों के मुकाबले महिलाओं की आबादी ज्यादा –
अगर बार करे पुरुषों के मुकाबले महिलाओं की आबादी की तो इसमें भी चौंकाने वाले आँकड़े सामने आये है. साल के जाते-जाते देश में ऐसा पहली बार हुआ जब पुरुषों के मुकाबले महिलाओं की आबादी ज्यादा आंकी गई। नेशनल फैमिली एंड हेल्थ सर्वे के मुताबिक, देश में अब 1 हजार पुरुषों की तुलना में महिलाओं की आबादी 1,020 हो गई है।
महिलाओं को मेट्रो ट्रेन चलाने पर हटा प्रतिबन्ध..रूस –
साल 2021 में रूस ने ऐतिहासिक फैसला लेते हुए महिलाओं के ट्रेन चलाने पर लगा प्रतिबन्ध हटा दिया। अब देश में बतौर मेट्रो डाइवर पहली बार एक महिला की नियुक्ति की गई। इसी के साथ एलेना लिसेंको-साल्टीकोवा रूस में ट्रेन चलाने वाली पहली महिला बनीं।
जानकारी के मुताबिक आपको बता दे कि रूस में इससे पहले ट्रेन चलाने को पुरुषों वाले काम की तरह देखा जाता था। जोखिम और कई वजहों से काम के लिए महिलाओं को उपयुक्त नहीं माना जाता था। एक कानून के तहत देश में महिलाओं के ट्रेन चलाने पर बैन था। लंबे समय से महिलाएं मांग कर रही थीं कि ट्रेन चलाना स्किल पर डिपेंड करता है। स्किल में दोनों जेंडर बराबर हैं। यह कोई भारी-भरकम सामान उठाने वाला काम नहीं। आखिरकार महिलाओं के संघर्ष की जीत हुई।
सेना में महिलाओं को भर्ती को मंज़ूरी…कुवैत –
इस साल महिलाओं की कुछ प्रमुख उपलब्धियों में से एक यह भी थी कि अब कुवैती सेना में महिलाएं भी युद्ध लड़ेंगी। इस देश के इतिहास में यह पहली बार है कि महिलाएं सेना में अपनी सेवा दे सकेंगी। बता दें कि खाड़ी देशों में कुवैत ऐसे देशों में शामिल है जहां महिलाओं को समान अधिकारी मिले हुए हैं। वहां साल 2005 में महिलाओं को वोट देने का अधिकार मिला था। कुवैत में महिलाएं कैबिनेट और संसद दोनों में हिस्सा लेने के लिए सक्रिय हैं। कुवैत ने हाल के सालों में महिलाओं को सशक्त बनाने में काफी प्रगति की है। सबसे पहले सेना में महिलाओं की भर्ती को मंजूरी यूएई में दी गई थी। यूएई और सऊदी अरब के बाद अब कुवैत मिडिल ईस्ट का तीसरा ऐसा देश है जहां सेना में अब महिलाएं भी शामिल होंगी।
इंडोनेशियाई आर्मी में वर्जिनिटी टेस्ट बैन –
इंडोनेशिया में कई सालों से सेना में भर्ती के नाम पर महिलाओं के साथ भेदभाव और जुल्म हो रहा था। ह्यूमन राइट्स वॉच के मुताबिक इस देश में वर्जिनिटी टेस्ट का चलन महिला कैडेट्स पर साल 1965 में शुरू हुआ था। राष्ट्रीय पुलिस सिद्धांतों के विपरीत इसे मंजूरी मिली।
पिछले कई साल से अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों की ओर से इस स्त्री विरोधी नियम को बदलने के लिए संघर्ष जारी था। साल 2021 में इस चलन में भी बड़ा बदलाव आया। इंडोनेशियन आर्मी चीफ ऑफ स्टाफ ने एक आधिकारिक घोषणा की कि अब इंडोनेशिया की सेना में भर्ती होने के लिए आवेदन देने वाली महिलाओं का ‘टू फिंगर टेस्ट’ यानी ‘वर्जिनिटी टेस्ट’ नहीं किया जाएगा।
एशियाई महिला निर्देशक को मिला एकेडमी अवॉर्ड –
चीनी मूल की हॉलीवुड फिल्मकार क्लोई झाओ ने फिल्मी दुनिया का सबसे प्रतिष्ठित सम्मान पाकर इतिहास रच दिया। वह ऑस्कर के 93 साल के इतिहास में बेस्ट डायरेक्टर का ऑस्कर अवॉर्ड पाने वाली दूसरी महिला बनी हैं। वहीं, क्लोई ऐसी पहली एशियाई महिला भी हैं।
क्लोई को 93वें अकादमी पुरस्कारों में फिल्म नोमैडलैंड के लिए बेस्ट डायरेक्टर के ऑस्कर से नवाजा गया। इसके पहले फिल्म हर्ट लॉकर के लिए बेस्ट डायरेक्टर का ऑस्कर अवार्ड अमेरिकी मूल की कैथरीन बिगेलो को दिया गया था।
ट्रेजरी डिपार्टमेंट में पहली बार महिला हेड बनीं जेनेट येलेन –
अमेरिकी लोकतंत्र के इतिहास में पहली बार एक महिला को अपना उपराष्ट्रपति चुना गया। वहीं, इसी साल इकोनॉमिस्ट जेनेट येलेन ट्रेजरी डिपार्टमेंट की पहली महिला हेड नियुक्त हुईं। अमेरिका में 1789 में ट्रेजरी डिपार्टमेंट की स्थापना हुई थी। तब से लेकर आज तक किसी महिला ने उसका नेतृत्व नहीं किया। लेकिन राष्ट्रपति जो बाइडेन और उपराष्ट्रपति कमला हैरिस के नेतृत्व में अमेरिकी इतिहास में महिलाओं के नाम कई उपलब्धियां दर्ज हुईं।